India to Host World Audio Visual & Entertainment Summit 2025
The Indian government will host the World Audio Visual & Entertainment Summit (WAVES) from February 5 to 9, 2025. This event is aimed at boosting India’s media and entertainment sector and strengthening its global influence.
भारत सरकार 5 से 9 फरवरी, 2025 तक विश्व दृश्य-श्रव्य और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES) की मेजबानी करेगी। इस आयोजन का उद्देश्य भारत के मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र को बढ़ावा देना और इसके वैश्विक प्रभाव को मजबूत करना है।
Objective of WAVES
WAVES will be the first global summit to cover all areas of the media and entertainment industry. The goal is to encourage dialogue, trade partnerships, and innovation among key players in the industry. It will provide a platform where people can discuss ideas, form business collaborations, and explore new trends.
The event will bring together industry leaders, stakeholders, and innovators. These participants will share their insights, identify new opportunities, and discuss the challenges the industry is facing, especially as it continues to evolve with new technologies.
वेव्स मीडिया और मनोरंजन उद्योग के सभी क्षेत्रों को कवर करने वाला पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन होगा। इसका लक्ष्य उद्योग में प्रमुख खिलाड़ियों के बीच संवाद, व्यापार साझेदारी और नवाचार को प्रोत्साहित करना है। यह एक ऐसा मंच प्रदान करेगा जहाँ लोग विचारों पर चर्चा कर सकते हैं, व्यावसायिक सहयोग बना सकते हैं और नए रुझानों का पता लगा सकते हैं।
यह कार्यक्रम उद्योग के नेताओं, हितधारकों और नवप्रवर्तकों को एक साथ लाएगा। ये प्रतिभागी अपनी अंतर्दृष्टि साझा करेंगे, नए अवसरों की पहचान करेंगे और उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे, खासकर जब यह नई तकनीकों के साथ विकसित हो रहा है।
Jordan Becomes First Country to Eliminate Leprosy
The World Health Organization (WHO) has officially recognized Jordan as the first country in the world to eliminate leprosy. This recognition was praised by WHO Director-General Dr. Tedros Adhanom Ghebreyesus, who highlighted the collective effort by Jordan to stop the spread of the disease and tackle the stigma associated with it.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आधिकारिक तौर पर जॉर्डन को कुष्ठ रोग को खत्म करने वाला दुनिया का पहला देश माना है। इस मान्यता की प्रशंसा WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने की, जिन्होंने इस बीमारी के प्रसार को रोकने और इससे जुड़े कलंक से निपटने के लिए जॉर्डन के सामूहिक प्रयास पर प्रकाश डाला।
Significance of Achievement
Jordan’s success is a huge milestone in public health. It shows that with the right strategies, countries can not only eliminate diseases but also reduce the negative social and economic effects of those diseases. According to Saima Wazed, WHO Regional Director for South-East Asia, this success is about more than just stopping the disease—it also includes fighting its psychological and social impacts.
जॉर्डन की सफलता सार्वजनिक स्वास्थ्य में एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि सही रणनीतियों के साथ, देश न केवल बीमारियों को खत्म कर सकते हैं बल्कि उन बीमारियों के नकारात्मक सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को भी कम कर सकते हैं। दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद के अनुसार, यह सफलता केवल बीमारी को रोकने से कहीं अधिक है – इसमें इसके मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभावों से लड़ना भी शामिल है।
About Jordan
Jordan is a country in the Middle East known for its rich history. It is home to Petra, an ancient city and UNESCO World Heritage site, and Amman, one of the oldest continuously inhabited cities in the world. The Jordan River is famous in religious history as the site of Jesus’ baptism, and Wadi Rum (Valley of the Moon) is known for its beautiful desert landscapes. Jordan also has the Dead Sea, the lowest point on Earth, and is famous for its delicious national dish, mansaf. The country is also home to the world’s largest olive tree, which is over 2,000 years old.
जॉर्डन मध्य पूर्व का एक देश है जो अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। यह पेट्रा, एक प्राचीन शहर और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, और अम्मान, दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे शहरों में से एक है। जॉर्डन नदी धार्मिक इतिहास में यीशु के बपतिस्मा के स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, और वादी रम (चंद्रमा की घाटी) अपने सुंदर रेगिस्तानी परिदृश्यों के लिए जानी जाती है। जॉर्डन में मृत सागर भी है, जो पृथ्वी पर सबसे निचला बिंदु है, और यह अपने स्वादिष्ट राष्ट्रीय व्यंजन, मंसफ़ के लिए प्रसिद्ध है। यह देश दुनिया के सबसे बड़े जैतून के पेड़ का भी घर है, जो 2,000 साल से भी ज़्यादा पुराना है।
EU Pledges ₹35 Billion Loan to Support Ukraine’s Recovery
The European Union (EU) has promised to lend Ukraine up to ₹35 billion (about $39 billion) to help the country recover from the ongoing war with Russia, which started in February 2022. This loan is part of a larger financial aid package that is being coordinated by the G7 nations, a group of the world’s largest economies, to support Ukraine during this difficult time.
यूरोपीय संघ (ईयू) ने यूक्रेन को रूस के साथ चल रहे युद्ध से उबरने में मदद करने के लिए 35 अरब रुपये (लगभग 39 अरब डॉलर) तक का ऋण देने का वादा किया है, जो फरवरी 2022 में शुरू हुआ था। यह ऋण एक बड़े वित्तीय सहायता पैकेज का हिस्सा है जिसे इस कठिन समय के दौरान यूक्रेन का समर्थन करने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी7 देशों द्वारा समन्वित किया जा रहा है।
G7 Loan Agreement
The G7 leaders agreed to provide Ukraine with a total loan package of $50 billion. This money is meant to help rebuild Ukraine’s economy and repair important infrastructure, especially its power systems, which have been badly damaged by the war.
The loans will be funded using money earned from the interest on Russian central bank assets that have been frozen due to the conflict. This means that Russia’s own money will be used to help pay for the damage caused by its invasion of Ukraine. However, there have been some delays in distributing the loan due to complications in setting up this funding system
जी7 नेताओं ने यूक्रेन को कुल 50 बिलियन डॉलर का ऋण पैकेज देने पर सहमति जताई। यह पैसा यूक्रेन की अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से इसकी बिजली प्रणालियों की मरम्मत में मदद करने के लिए है, जो युद्ध से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
संघर्ष के कारण फ्रीज की गई रूसी केंद्रीय बैंक की संपत्तियों पर ब्याज से अर्जित धन का उपयोग करके ऋण का वित्तपोषण किया जाएगा। इसका मतलब है कि रूस के अपने पैसे का उपयोग यूक्रेन पर उसके आक्रमण से हुए नुकसान की भरपाई में मदद के लिए किया जाएगा। हालाँकि, इस फंडिंग सिस्टम को स्थापित करने में जटिलताओं के कारण ऋण वितरित करने में कुछ देरी हुई है
More About the European Union
The European Union (EU) started in 1957 as the European Economic Community. Today, it has 27 member countries, and 19 of them use the euro as their currency. The Schengen Area allows people to travel between 26 nations without needing a passport. The EU is known for its Common Agricultural Policy, which uses about 36% of its budget to support farming. In 2012, the EU won the Nobel Peace Prize. Its European Court of Justice makes sure EU laws are applied the same way in all member countries, and the European Parliament has 705 members. The EU’s motto is “United in Diversity”, and it works hard to protect the environment through the Green Deal initiatives.
यूरोपीय संघ (ईयू) की शुरुआत 1957 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय के रूप में हुई थी। आज, इसके 27 सदस्य देश हैं, और उनमें से 19 यूरो को अपनी मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते हैं। शेंगेन क्षेत्र लोगों को पासपोर्ट की आवश्यकता के बिना 26 देशों के बीच यात्रा करने की अनुमति देता है। यूरोपीय संघ अपनी आम कृषि नीति के लिए जाना जाता है, जो अपने बजट का लगभग 36% खेती को समर्थन देने के लिए उपयोग करता है। 2012 में, यूरोपीय संघ ने नोबेल शांति पुरस्कार जीता। इसका यूरोपीय न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि यूरोपीय संघ के कानून सभी सदस्य देशों में समान रूप से लागू हों, और यूरोपीय संसद में 705 सदस्य हैं। यूरोपीय संघ का आदर्श वाक्य “विविधता में एकजुट” है, और यह ग्रीन डील पहल के माध्यम से पर्यावरण की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत करता है।
Cabinet Approves Chandrayaan-4, Venus Orbiter Mission
The Union Cabinet recently approved several important steps in India’s space exploration plans. These include building the Bharatiya Antariksh Station (BAS), launching the Chandrayaan-4 mission to collect moon samples, and preparing for India’s first mission to Venus. Prime Minister Narendra Modi called this a significant milestone, aiming for a self-sustained space station by 2035 and a manned moon mission by 2040.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में भारत की अंतरिक्ष अन्वेषण योजनाओं में कई महत्वपूर्ण कदमों को मंजूरी दी है। इनमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण, चंद्रमा के नमूने एकत्र करने के लिए चंद्रयान-4 मिशन का प्रक्षेपण और शुक्र ग्रह पर भारत के पहले मिशन की तैयारी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया, जिसका लक्ष्य 2035 तक एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक एक मानवयुक्त चंद्रमा मिशन बनाना है।
Bharatiya Antariksh Station (BAS)
The BAS project focuses on building India’s first space station. This will strengthen the country’s Gaganyaan program (India’s first human spaceflight mission). India plans to launch the first part of the space station, called BAS-1, by 2028, with a full space station ready by 2035. It will orbit 300 to 400 km above Earth and will support astronauts for up to 20 days at a time. The station will be used for scientific research and aims to promote national and international cooperation. The Gaganyaan mission is an important step toward setting up this station. The BAS modules will be launched using India’s GSLV Mk III rocket and highlight India’s growing ability in space exploration.
BAS परियोजना भारत का पहला अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर केंद्रित है। इससे देश के गगनयान कार्यक्रम (भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन) को मजबूती मिलेगी। भारत की योजना 2028 तक BAS-1 नामक अंतरिक्ष स्टेशन का पहला भाग लॉन्च करने की है, जबकि 2035 तक पूरा अंतरिक्ष स्टेशन तैयार हो जाएगा। यह पृथ्वी से 300 से 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करेगा और एक बार में 20 दिनों तक अंतरिक्ष यात्रियों की सहायता करेगा। स्टेशन का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए किया जाएगा और इसका उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। गगनयान मिशन इस स्टेशन को स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। BAS मॉड्यूल भारत के GSLV Mk III रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किए जाएंगे और अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती क्षमता को उजागर करेंगे।
Technological Validation
To develop the space station, India will carry out various missions to test the technologies needed for building and running it. These missions are essential to ensure safety and success in future crewed spaceflights.
Chandrayaan-4 Mission
The Chandrayaan-4 mission is focused on bringing moon samples back to Earth. This mission will build on the achievements of Chandrayaan-3, which proved India’s ability to land on the moon. Chandrayaan-4 will be a cost-effective way to develop moon technologies as India prepares for a manned mission to the moon by 2040
Venus Mission
Along with its moon missions, the government has approved India’s first mission to Venus. This mission will expand India’s role in planetary exploration and contribute to space research beyond the moon.
With these projects, India aims to demonstrate its growing strength in space exploration. The country is focusing on both lunar and interplanetary missions, to create a sustainable human presence in space by 2040.
India’s First Astronaut to ISS Set for Ax-4 Mission
In 2025, India will make history again in space with Group Captain Shubhanshu Shukla piloting the Axiom-4 (Ax-4) mission. This mission will be India’s first human presence on the International Space Station (ISS) and only the second government-sponsored human spaceflight from India, after Wing Commander Rakesh Sharma’s mission in 1984.
2025 में भारत अंतरिक्ष में फिर से इतिहास रचेगा, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 (एक्स-4) मिशन का संचालन करेंगे। यह मिशन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर भारत की पहली मानवीय उपस्थिति होगी और 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के मिशन के बाद भारत की ओर से सरकार द्वारा प्रायोजित दूसरा मानव अंतरिक्ष यान होगा।
Background of the mission
The Ax-4 mission is part of a bigger plan between India and the United States. This collaboration was announced by Indian Prime Minister Narendra Modi during his visit to the U.S. To make it happen, the Indian Space Research Organisation (ISRO) signed an agreement with Axiom Space, an American company that specializes in sending humans to space.
एक्स-4 मिशन भारत और अमेरिका के बीच एक बड़ी योजना का हिस्सा है। इस सहयोग की घोषणा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान की थी। इसे संभव बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने में माहिर अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
Astronaut Selection
Shubhanshu Shukla, the astronaut chosen to pilot the mission, is a test pilot in the Indian Air Force. He will be backed up by Group Captain Prashanth Nair, also from the Indian Air Force. They will join an international team led by Peggy Whitson, an experienced astronaut in charge of the mission’s operations and training
मिशन के पायलट के रूप में चुने गए अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना में एक परीक्षण पायलट हैं। उन्हें भारतीय वायु सेना से ही ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर का समर्थन प्राप्त होगा। वे मिशन के संचालन और प्रशिक्षण के प्रभारी अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन के नेतृत्व वाली एक अंतरराष्ट्रीय टीम में शामिल होंगे।
Mission Training
Astronauts like Shubhanshu Shukla undergo a lot of preparation before they go into space. Their training covers everything from how to operate spacecraft to handling emergencies and conducting scientific experiments. Shukla will focus on learning how to navigate and dock the spacecraft, as well as how to help with research while staying 14 days on the ISS.
During his time on the ISS, Shukla will perform five experiments in microgravity. These experiments will not only help with scientific research but also contribute to India’s future space missions, especially the Gaganyaan program, which aims to send India’s first crewed mission into space
Technological Aspects
The mission will use advanced technology from SpaceX, including the Falcon 9 rocket and the Dragon spacecraft. The Dragon is known for its automated systems that make docking with the ISS easier and its advanced life support systems, which help keep astronauts safe.
The Ax-4 mission will involve astronauts from Poland and Hungary, making it a truly international effort. This highlights the growing collaboration between countries in space exploration and paves the way for more nations to participate in future space missions.
About the Axiom-4 mission
The Axiom-4 mission is part of NASA’s private astronaut program, which allows commercial companies like Axiom Space to send astronauts to the ISS. This will be the fourth mission in the series, following Axiom-1, Axiom-2, and Axiom-3. The Crew Dragon spacecraft will be used for the mission, and the crew may include private astronauts or commercial participants. The mission’s goals are to conduct scientific research, demonstrate new technologies, and strengthen international partnerships for future space exploration.
एक्सिओम-4 मिशन नासा के निजी अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम का हिस्सा है, जो एक्सिओम स्पेस जैसी वाणिज्यिक कंपनियों को आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की अनुमति देता है। यह एक्सिओम-1, एक्सिओम-2 और एक्सिओम-3 के बाद श्रृंखला का चौथा मिशन होगा। मिशन के लिए क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान का उपयोग किया जाएगा, और चालक दल में निजी अंतरिक्ष यात्री या वाणिज्यिक प्रतिभागी शामिल हो सकते हैं। मिशन का लक्ष्य वैज्ञानिक अनुसंधान करना, नई तकनीकों का प्रदर्शन करना और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करना है।